उस समय की बात है जब मैं डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर गांव के अस्पताल में कुछ दिन के लिए गया था वहां ज्यादातर लोग अपने पेट का इलाज या सर्दी खांसी का इलाज कराने आते थे वही सामने पीपल का पेड़ था वहां एक लड़की रोज दवा खाने के सामने बैठी रहती थी शायद अंदर आने की हिचक थी गरीब थी शायद उसे किसी ने बताया होगा यह दवा खाना है एक दिन मैंने उससे पूछ लिया ना जाने क्या कशिश थी आंखों में अपने मन की आंखों से मुझे अपनी तरफ बुला रही थी मैंने पूछा तुम यहां क्यों बैठी हो उसने कहा एक हादसे में मेरी आंखें चली गई
इंटरव्यू
मुझे काम की बहुत जरूरत थी ऑफिस के चक्कर काटते काटते में थक गया था इंटरव्यू दे देकर हार चुका था सब जगह निराशा हाथ लगी थी 1 दिन और मैं इंटरव्यू के लिए निकला इंटरव्यू के लिए बहुत से कैंडीडेट्स थे मैंने मन में सोचा आज भी नौकरी मिलना मुश्किल है पर दिल में जो जोश था नौकरी मिलेगी वहां एक लड़की भी आई हुई थी
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